Popunder

Friday, August 18, 2023

University of Rajasthan

Modern BusinessCommunication M.Com. (Bus. Admn.)(1st Semester) Examination, 2021 Paper Q & Answer
Q.N. 1 What meant by Business Communication ? Explanin The process of Communication. व्यावसायिक संचार से क्या तात्पर्य है ? संचार की प्रकिया के बारे मै बताएं .

Answer. व्यावसायिक संचार, 'संचार' शब्द का ही एक भाग है । संचार का अर्थ समझने के बाद व्यावसायिक संचार अथवा सन्देशवाहन का अर्थ भी सरलता से समझ सकते हैं । यह निम्न दो शब्दों से मिलकर बना है - 'व्यावसायिक + संचार' । इन दोनों शब्दों का अर्थ 'व्यावसायिक प्रक्रिया से सम्बन्धित सम्प्रेषण' अर्थात व्यावसायिक संचार से आशय उन समाचारों व विचारों के सम्प्रेषण से है जो किसी व्यावसायिक प्रक्रिया से सम्बन्धित हों । दूसरे शब्दों में व्यावसायिक संचार से तात्पर्य व्यवसाय से सम्बन्धित विचारों, सूचनाओं, भावनाओं, समझदारियों, विश्वास एवं सम्मतियों आदि का दो या दो से अधिक व्यक्तियों के मध्य आदान-प्रदान करने से है ।

व्यावसायिक संचार, संचार का ही एक भाग है । व्यवसाय का उद्देश्य लाभ कमाना होता है, चाहे छोटा व्यवसाय हो अथवा बड़े पैमाने पर, उसका रूप चाहे एकाकी व्यापार हो या साझेदारी अथवा कम्पनी, लाभ कमाने की दृष्टि से ही उनका संचालन किया जाता है ।

व्यवसाय के प्रबन्धकों को लाभ कमाने ले लिए व्यवसाय की स्थापना से लेकर उसको चलाने के लिए अनेक व्यक्तियों से सम्पर्क रखना पड़ता है तथा निरन्तर अपने ग्राहकों से, कर्मचारियों से तथा अन्य व्यक्तियों से संवाद रखना पड़ता है, यही संवाद की प्रक्रिया व्यावसायिक संचार कहलाती है । व्यवसाय में उत्पादन के विभिन्न साधनों कच्चामाल, मशीन तथा श्रम को समूह के रूप में एकत्रित करके उत्पादन किया जाता है अथवा क्रय-विक्रय किया जाता है या सेवाओं को प्रदान किया जाता है । इन सभी क्रियाओं में एक समूह कार्य करता है जैसे अन्य व्यापारी, कर्मचारी इत्यादि । इस व्यावसायिक प्रक्रिया के दौरान सबसे संवाद करना पड़ता है । विचार-विमर्श, तथ्यों और सूचनाओं का आदान-प्रदान करना होता है, यह संचार की निरन्तर प्रक्रिया ही व्यावसायिक संचार कहलाती है । व्यावसायिक संचार व्यावसायिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए आवश्यक है तथा इसके बिना उसका संचालन ही नहीं हो सकता है ।

सी. जी. ब्राउन के शब्दों में, "व्यावसायिक संचार संदेशों तथा व्यवसाय से जुड़े लोगों के जानने की प्रक्रिया है । इसमें संचार के माध्यम सम्मिलित होते हैं ।"

संक्षेप में कहा जा सकता है कि व्यावसायिक संचार, संचार का वह भाग है जो व्यावसायिक क्रियाओं से सम्बन्धित होता है तथा व्यवसाय को गतिशील बनाने में सहायता करता है ।

इस प्रकार यह स्पष्ट है कि जब दो या अधिक व्यक्तियों के बीच विचारों, सूचनाओं अथवा तथ्यों का आदान-प्रदान व्यावसायिक वातावरण में सम्पन्न होता है तो संचार का यह रूप ही व्यावसायिक संचार कहलाता है । व्यावसायिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए संचार अथवा व्यावसायिक संचार, दोनों नामों का प्रयोग किया गया है ।

संचार प्रक्रिया

संचार एक व्यक्ति से दूसरे तक अर्थपूर्ण संदेश प्रेषित करने वाली प्रक्रिया है। संचार एक द्विमार्गीय प्रक्रिया है जिसमें दो या दो से अधिक लोगों के बीच विचारों, अनुभवों, तथ्यों तथा प्रभावों का प्रेषण होता है । संचार प्रक्रिया में प्रथम व्यक्ति संदेश स्रोत (Source) या प्रेषक (Sender) होता है । दूसरा व्यक्ति संदेश को ग्रहण करने वाला अर्थात प्राप्तकर्ता या ग्रहणकर्ता होता है ।

इन दो व्यक्तियों के मध्य संवाद या संदेश होता है जिसे प्रेषित एवं ग्रहण किया जाता है प्रेषित किये शब्दों से तात्पर्य ‘अर्थ’ से होता है तथा ग्रहणकर्ता शब्दों के पीछे छिपे ‘अर्थ’ को समझने के पश्चात प्रतिक्रियों व्यक्त करता है।

संचार की प्रक्रिया तीन तत्वों क्रमश: प्रेषक (Sender) सन्देश (Message) तथा प्राप्तकर्ता (Reciver) के माध्यम से सम्पन्न होती है। किन्तु इसके अतिरिक्त सन्देश प्रेषक को किसी माध्यम की भी आवश्यकता होती है जिसकी सहायता से वह अपने विचारों को प्राप्तिकर्ता तक पहुंचाता है।

संचार-प्रक्रिया संचार-प्रक्रिया अत: कहा जा सकता है कि संचार प्रक्रिया में अर्थों का स्थानान्तरण होता है । जिसे अन्त: मानव संचार व्यवस्था भी कह सकते है। एक आदर्श संचार-प्रक्रिया के प्रारूप को समझा जा सकता है :- 1. स्रोत/प्रेषक - संचार प्रक्रिया की शुरूआत एक विशेष स्रोत से होता है जहां से सूचनार्थ कुछ बाते कही जाती है। स्रोत से सूचना की उत्पत्ति होती है और स्रोत एक व्यक्ति या व्यक्तियों का समूह भी हो सकता है। इसी को संप्रेषक कहा जाता है । 2. सन्देश - प्रक्रिया का दूसरा महत्वपूर्ण तत्व सूचना सन्देश है। सन्देश से तात्पर्य उस उद्दीपन से होता है जिसे स्रोत या संप्रेषक दूसरे व्यक्ति अर्थात सूचना प्राप्तकर्ता को देता है। प्राय: सन्देश लिखित या मौखिक शब्दों के माध्यम से अन्तरित होता है । परन्तु अन्य सन्देश कुछ अशाब्दिक संकेत जैसे हाव-भाव, शारीरिक मुद्रा, शारीरिक भाषा आदि के माध्यम से भी दिया जाता है । 3. कूट संकेतन - कूट संकेतन संचार प्रक्रिया की तीसरा महत्वपूर्ण तथ्य है जसमें दी गयी सूचनाओं को समझने योग्य संकेत में बदला जाता है । कूट संकेतन की प्रक्रिया सरल भी हो सकती है तथा जटिल भी । घर में नौकर को चाय बनाने की आज्ञा देना एक सरल कूट संकेतन का उदाहरण है लेकिन मूली खाकर उसके स्वाद के विषय में बतलाना एक कठिन कूट संकेतन का उदाहरण है क्योंकि इस परिस्थिति में संभव है कि व्यक्ति (स्रोत) अपने भाव को उपयुक्त शब्दों में बदलने में असमर्थ पाता है। 4. माध्यम - माध्यम संचार प्रक्रिया का चौथा तत्व है । माध्यम से तात्पर्य उन साधनों से होता है जिसके द्वारा सूचनाये स्रोत से निकलकर प्राप्तकर्ता तक पहुँचती है । आमने सामने का विनियम संचार प्रक्रिया का सबसे प्राथमिक माध्यम है । परन्तु इसके अलावा संचार के अन्य माध्यम जिन्हें जन माध्यम भी कहा जाता है, भी है । इनमें दूरदर्शन, रेडियो, फिल्म, समाचारपत्र, मैगजीन आदि प्रमुख है । 5. प्राप्तकर्ता - प्राप्तकर्ता से तात्पर्य उस व्यक्ति से होता है । जो सन्देश को प्राप्त करता है । दूसरे शब्दों में स्रोत से निकलने वाले सूचना को जो व्यक्ति ग्रहण करता है, उसे प्राप्तकर्ता कहा जाता है । प्राप्तकर्ता की यह जिम्मेदारी होती है कि वह सन्देश का सही -सही अर्थ ज्ञात करके उसके अनुरूप कार्य करे । 6. अर्थपरिवर्तन - अर्थपरिवर्तन संचार प्रक्रिया का छठा महत्वपूर्ण पहलू है । अर्थपरिर्वन वह प्रक्रिया है जिसके माध्यम से सूचना में व्याप्त संकेतों के अर्थ की व्याख्या प्राप्तकर्ता द्वारा की जाती है । अधिकतर परिस्थिति में संकेतों का साधारण ढंग से व्याख्या करके प्राप्तकर्ता अर्थपरिवर्तन कर लेता है परन्तु कुछ परिस्थिति में जहां संकेत का सीधे-सीधे अर्थ लगाना कठिन है । अर्थ परिवर्तन एक जठिल एवं कठिन कार्य होता है । 7. प्रतिपुष्टि - संचार का सातवाँ तत्व है । प्रतिपुष्टि एक तरह की सूचना होती है जो प्राप्तिकर्ता की ओर से स्रोत या संप्रेषक को प्राप्त स्रोत है। जब स्रोत को प्राप्तकर्ता से प्रतिपुष्टि परिणाम ज्ञान की प्राप्ति होती है । तो वह अपने द्वारा संचरित सूचना के महत्व या प्रभावशीलता को समझ पाता है । प्रतिपुष्टि के ही आधार पर स्रोत यह भी निर्णय कर पाता है कि क्या उसके द्वारा दी गयी सूचना में किसी प्रकार का परिमार्जन की जरूरत है यहाँ ध्यान देने वाली बात यह है कि केवल द्विमार्गी संचार में प्रतिपुष्टि तत्व पाया जाता है । 8. आवाज - संचार प्रक्रिया में आवाज भी एकतत्व है यहॉं आवाज से तात्पर्य उन बाधाओं से होता है जिसके कारण स्रोत द्वारा दी गयी सूचना को प्राप्तकर्ता ठीक ढ़ग से ग्रहण नहीं कर पाता है या प्राप्तकर्ता द्वारा प्रदत्त पुनर्निवेशत सूचना के स्रोत ठीक ढ़ग से ग्रहण नहीं कर पाता है । अक्सर देखा गया है कि स्रोत द्वारा दी गई सूचना को व्यक्ति या प्राप्तकर्ता अनावश्यक शोरगुल या अन्य कारणों से ठीक ढ़ग से ग्रहण नहीं कर पाता है । इससे संचार की प्रभावशाली कम हो जाती है । उपरोक्त सभी तत्व एक निश्चित क्रम में क्रियाशील होते है और उस क्रम को संचार का एक मौलिक प्रारूप कहा जात है ।

University of Rajasthan Modern BusinessCommunication M.Com. (Bus. Admn.)(1st Semester) Examination, 2021 Paper Q & Answer Q.N. 1 W...